सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
सोमवार को थांदला में लोकायुक्त की हुई कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। प्रारंभिक रूप से की गई कार्रवाई में लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वतखोर खंड स्त्रोत समन्वयक संजय सिकरवार निवासी झाबुआ और चपरासी (चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी) श्यामलाल पाल पिता प्रताप पाल निवासी मछलईमाता को रंगे हाथों पकड़ा। दोनों ही आरोपियों को मुचलके पर छोड़ दिया गया है। दोनों ही आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने निजी स्कूल की मान्यता के नवीनीकरण के बदले मे 11 हजार रुपए की रिश्वत राशि की मांग की थी।
लोकायुक्त की कारवाई के बाद इधर कलेक्टर सह मिशन संचालक और सहायक आयुक्त जनजातिय कार्य विभाग की ओर से पत्र जारी किया गया है। जिसमें खंड स्त्रोत समन्वयक संजय सिकरवार को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त किया गया है। सिकरवार के स्थान पर अब आगामी कार्य व्यवस्था के रूप में खंड शिक्षा अधिकारी थांदला दीपेश सोलंकी को अस्थाई प्रभाव सौंपा गया है।
उल्लेखनीय है कि निजी स्कूलों की मान्यता के नवीनीकरण को लेकर शासन की ओर से कई नियम और शर्तें लागू की गई है। इन्हीं नियम, शर्तों का दबाव बनाकर आरोपी अधिकारी संजय सिकरवार और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी श्यामलाल पाल रिश्वत के रूप में पैसा ऐंठ रहे थे।
संभावनाएं व्यक्त की जा रही है कि यदि लोकायुक्त की जांच सही रास्ते पर चली, तो इस भ्रष्टाचार के खेल में और रिश्वत की इस आग में कई जिला और राज्य स्तर के अधिकारी भी झुलस सकते हैं। क्योंकि सूत्र बताते हैं कि मान्यता के नवीनीकरण का कार्य जिला स्तर से होता है। इस लिहाज से भ्रष्टाचार के इस खेल में पूरा बांस भी पोला हो सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि जांच इस पोले बांस की तह तक जाती है या नहीं।