सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। जैन धर्म अहिंसावादी है। इसके तहत जहां हिंसा होती वह कार्य नहीं करने की प्रभु की जिनवाणी के माध्यम से प्रेरणा मिलती है। ऐसे ही हिंसा न हो इसी को दृष्टिगत रखते हुए बच्चों के लिए तीन दिवसीय आराधना कार्यक्रम होगा। आराध्य प्रभु भगवान महावीर स्वामीजी के निर्वाण कल्याणक दिवस प्रसंग पर आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती जैन संतश्री चंद्रेशमुनिजी, सुयशमुनिजी ठाणा 2 एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 की प्रेरणा से बच्चों के लिए भी श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में सुलभता से की जाने वाली आराधना का तीन दिवसीय आयोजन रखा गया है।
घोड़ावत परिवार पुरस्कार के लाभार्थी
श्रीसंघ के अध्यक्ष जितेंद्र घोड़ावत, सचिव प्रदीप गादिया एवं नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा ने बताया कि इस आराधना के प्रायोजक स्वर्गीय कमलाकांत घोड़ावत परिवार पुरस्कार के लाभार्थी है। यह आराधना आयोजन 22 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक तीन दिवसीय का होगा। इसमें 10 से 17 वर्ष तक के बालक बालिकाएं ही भाग ले सकेंगे।
बच्चें 11 नियम ग्रहण करेंगे
इसके अंतर्गत *”नहीं जलाएंगे पटाखे, ले लिया है नियम, मनाएंगे दीपावली करके हम तो धरम”* उक्त युक्ति को दृष्टिगत रखते हुए बच्चें निम्न नियम ग्रहण करेंगे। इसके अंतर्गत तीनों दिन नियमित संत सतीजी के दर्शन करना, व्याख्यान श्रवण करना, स्थानक में एक एक सामायिक करना, 27 वंदना करना, णमो सिद्धाणं की 11 माला गिनना, बियासन तप करना, स्थानक में संवर करना, स्नान का त्याग, रात्रि भोजन का त्याग, दीपक नहीं जलाना, रांगोली नहीं बनाना शामिल है। इस तरह बच्चों को धर्म आराधना से जोड़ने व पाप क्रिया से बचाने के उद्देश्य को लेकर उनका प्रोत्साहन बढ़ाने हेतु प्रत्येक नियम ग्रहण करने के लिए 10 अंक निर्धारित किए गए है। पूरे 11 नियम ग्रहण करने पर 110 अंक मिलेंगे। उसके आधार पर बच्चों को पुरस्कृत किया जाएगा। ऐसे सहज रूप में हर किसी के द्वारा लिए जा सकने वाले आराधना नियम को लेकर बच्चों में उत्सुकता छलकती नजर आ रही हैं।