सिद्धार्थ कांकरिया @ थांदला
थांदला। छोटा या बड़ा तप चाहे कोई भी हो, वह अपने आप में महत्व रखता है। तप किसी सांसारिक सुख भोग के लिए नहीं अपितु कर्म निर्जरा के लिए किया जाता हैं। धर्म एवं तप नगरी में वर्षावास हेंतु पौषध भवन पर विराजित श्री चंद्रेशमुनिजी व श्री सुयशमुनिजी ठाणा 2 एवं दौलत भवन महिला स्थानक पर विराजित साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी, दीप्तिजी ठाणा 4 की प्रेरणा से उत्साह भरे वातावरण में नौ दिवसीय नवपद आयंबिल ओलीजी और 11 लाख नवकार मंत्र की तपाराधना प्रारंभ हुई।
प्रथम दिन से ही बड़ी संख्या में आराधक भाग लेकर ओलीजी की तपाराधना कर रहे है। इस आराधना में पहले दिन 48 व दूसरे दिन 56 आराधकों ने भाग लिया। इसी के साथ संयमी आत्माओं के मार्गदर्शन में उक्त आराधना के अंतर्गत आराधक निर्धारित धर्म आराधना आदि भी कर रहे हैं।
जैन सोश्यल ग्रुप तप आराधकों को आयंबिल करवाने का लाभ ले रहा है। साथ आराधना पूर्ण होने पर सभी तप आराधकों के पारणे करवाने का लाभ भी ग्रुप ने ही लिया है। वहीं मुनि वृंद व साध्वी मंडल के सानिध्य एवं प्रेरणा से 9 दिवसीय 11 लाख नवकार महामंत्र के जाप की आराधना भी 1 अक्टूबर से प्रारंभ हुई। इसमें भी आराधक प्रतिदिन बड़ी संख्या में भाग ले हैं। सभी मंत्रों का राजा नवकार महामंत्र के होने वाले कुल जाप की संख्या के लिए श्रीसंघ द्वारा वहां रखे गए रजिस्टर में आराधक अपनी माला गिनने की आराधना अंकित कर रहे है।